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दोस्तों आजकल हमारे प्रिय देश में एक ख़ास तरह की हवा बहने लगी है और खतरनाक बात ये है कि ये हवा एक आंधी का रूप लेना शुरिु कर रही है। इससे पहले कि ये झूठ का अन्धड़ हमारे समाज को अपनी काली चादर में लपेट ले हमें सारी परिस्थिति को अच्छी तरह से समझ लेना होगा ताकि समाज के दुश्मनों द्वारा देश की विकास की नयी हवा की लहर को रोकने की साजिश सफल ना हो सकेऔर विकास की हवा की लहर के झोंके ठीक से देश के हर कोने को सुवासित कर सकें।
बिहार चुनाव के दिनों में देश में अवार्ड लौटाने का ड्रामा खूब सफलता से खेला गया था। अखबारों और टी वी पर भी इस ड्रामे ने खूब तहलका मचाया था। बिहार चुनाव ख़त्म होते ही अचानक ये ड्रामा भी ख़त्म हो गया था।
लेकिन अब क्योंकि संसद का शीतकालीन अधिवेशन शुरू हो रहा है और दुर्भाग्यवश कांग्रेसी बंधुओं के पास मोदी जी की विकास नीति का प्रतिकार करने के लिए कुछ ठोस नीति नहीं है ,( जिसके दम पर वो लोग अपनी आदत के अनुसार संसद में हंगामा कर सकें और संसद का काम ठप्प कर सकें) , अतःउन्होंने एक नया और भयंकर झूठ का सहारा लेने की नीति अपनाई है।
आप सब ने भी पढ़ा-सूना ही होगा कि फिल्म एक्टर आमिर खान ने एक समारोह में भारत में असहिश्णुता के बढ़ने की बात कही है और इस कारण इस देश में रहने में असमर्थता भी जाहिर की है ,क्योंकि यहां रहने में अब उनकी बीवी और बच्चों की सुरक्षा को ख़तरा है।
बड़ी हैरानी की बात है कि आमिर खान ने ऐसी मूर्खतापूर्ण (या जानबूझकर ,शरारतपूर्ण ) बात कही है जब कि उसकी अपनी लेटेस्ट फिल्म में हिन्दुओं का भद्दा मज़ाक उड़ाया गया था और उसकी ये फिल्म केवल गैर हिन्दुओं ने ही नहीं देखि थी बल्कि इस फिल्म ने उदार हिन्दू दर्शकों के दम पर करोड़ों रुपयों का व्यवसाय किया था और इस आमिरखान को भी करोड़ों रूपये दिलवाए थे। तब तो आमिर खान इस देश के लोगों को और यहां के फिल्म दर्शकों के उदारवादी नज़रिये की तारीफ़ करते नहीं थकते थे।
मित्रों ,देश में भाईचारा बढे ताकि सम्पूर्ण समाज चहुंमुखी उन्नति कर सके ,ये बहुत अधिक आवश्यक है और देश की इकलौती ज़रुरत भी है और यही प्रयत्न हर काल में और हर कदम पर इस देश के हितेषी करते रहे हैं।
इस देश में खुलेआम सिखभाईयों का लाखों की संख्या में कत्लेआम किया गया ,कभी किसी मशहूर आदमी को इस देश में रहने में कोई ख़तरा नहीं महसूस हुआ ,उनके बच्चों को भी कोई खतरा नहीं हुआ।और मित्रों ,उस कत्लेआम को सही ठहराने के लिए और उस जघन्य अपराध की वकालत करने के लिए उस समय तो उस समय के प्रधानमन्त्री तक ने खुलेआम एलानिया ये बात कही थी कि "जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती भी हिलती ही है। "
यही नहीं कश्मीर में हिन्दू पंडितों को उनकी पुरखों की ज़मीन से खदेड़ दिया गया ,उनकी बहन -बेटियों को बेआबरू किया गया ,तब ना तो कोई समझदार आगे आया और ना ही किसी ने इस गंदगी के खिलाफ आवाज़ उठाई।
इस देश का पिछले 68 साल का इतिहास दुर्भाग्यपूर्ण मजहबी दंगों में बहाये गए खून से से सना पड़ा है।
ना तो दंगे पहले कभी ठीक थे और ना आज ठीक कहे जा सकते हैं।
देश कोई भी हो समाज कोई भी हो इस प्रकार के दंगों से सभी को नुक्सान ही होता है ,इसलिए सब मिलकर ऐसी परिस्थिति को रोकने का प्रयत्न करते हैं ,लेकिन बड़े दुःख की बात है की आज जब एक नए विचार के साथ देश के प्रधानमन्त्री ने " सब का साथ -सब का विकास " का नारा दिया है और इस दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प भी लिया है तब विरोधी लोग सहयोग करने के स्थान पर अपने चमचों की मदद से देश का माहौल बिगाड़ने में लगे हैं। उनके ये बयान इस देश को और पूरे समाज को बदनाम करने वाले हैं , किसी एक आदमी को नहीं।
इसलिए इस झूठ की आंधी की चादर को उतार फेंकने की ज़रुरत है ,इस का डट कर सामना करने की ज़रुरत है ताकि राजनीति की बिसात पर देश के विकास की बलि ना चढ़ा दी जाए।