मंगलवार, 16 जुलाई 2013

चौंकिए नहीं , समझिये और फिर कुछ करिए.

 आज सुबह  , मेरी बेटी जैसी और बहुत विद्वान् , हमारे घर के पास में ही रहने वाली विदूषी , अपने पति के साथ मुझसे मिलने चली आई .
 अब विद्वान है तो विदुषी तो होगी ही ना , फिर विद्वान के साथ विदूषी " अलंकार " क्यों लगाया ?
 तो जवाब ये है जनाब कि अपने बच्चों की तारीफ करने से मन नहीं भरता , ख़ास करके तब जब कि  वो वास्तव में उसके हकदार हों .
 मैं इस बच्ची  का नाम नहीं लिखूंगा .   हाँ , इतना ज़रूर बताऊंगा की ये विद्वान लड़की दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है , अतः हम इसे प्रोफ़ेसर साहिबा के नाम से  ही जानेंगे .
 तो प्रोफ़ेसर साहिबा को अपने पति सहित  सुबह-सुबह घर आया देख मैं बहुत चौंका .
 इतनी विद्वान् महिला , जिसकी विद्वत्ता और गुणों के कारण , चारों ओर प्रशंसा ही प्रशंसा होती हो ,सुबह-सुबह आपके सामने स्वयं चल कर आपके घर आ जाए तो प्रसन्न होने के साथ-साथ आप चौंक तो जायेंगे ही ना .
 इन प्रोफ़ेसर साहिबा के परिचय के रूप में इतना और बताता चलूँ कि इन्होने खुद आगे बढ़कर लोगों से एक के बाद एक से मिलकर वो काम अकेली ने कर दिखाया जिसकी तारीफ़ जितनी अधिक की जाए , कम है .
 पिछले दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी  ने अपने कोर्स में से स्वामी विवेकानंद जी के नाम का चैप्टर ही हटा दिया था इन प्रोफ़ेसर साहिबा ने खूब लम्बी लड़ाई बिना थके -बिना रुके ऐसी लड़ी कि कोर्स में केवल स्वामी विवेकानंद जी का ही चैप्टर नहीं , वेदोव्यास और सुश्रुत जैसे महान विभूतियों के चैप्टर भी कोर्स में शामिल करवा कर मानी .अब अगर मैं इनकी लड़ाई का पूरा विवरण देने बैठ गया तो मामला बहुत लंबा हो जाएगा , इसलिए जितना बताया है उसी से काम चला लीजिये . जो मैं बताना चाह रहा था , वो केवल ये है कि  जिन गरिमामयी  महिला का मैं ज़िक्र कर रहा हूँ वे विद्वान तो हैं ही साथ में संघर्ष शील भी हैं और फालतू की बातों में अपना समय नष्ट करना बिलकुल भी पसंद नहीं करती . तो है ना बड़े सम्मान की बात जब ऐसी हस्ती सुबह-सुबह आपके घर चल कर आ जाए .
खैर ये तो हुई परिचय आदि की बात , अब असल बात पर आता हूँ .
हाल-चाल और बाकी खैरियत जानने के बाद उन्होंने अपनी आमद की असल वजह जो बयान की उसे जान कर आप भी चौंक जायेंगे .
 प्रोफ़ेसर साहिबा ने कहा , " अंकल ,  ऐसा सुनने में आ रहा है कि आजकल चुनाव में  जो वोटिंग मशीने प्रयोग में आ रही  हैं , उनमें मन चाहे ढंग से हेरा-फेरी या गड़बड़ी जो भी आप करना  चाहें की जा सकती है ."
"हाँ , ये सही है और श्री सुब्रमण्यम स्वामी इस पॉइंट पर पहले से काम भी कर रहे हैं ." मैंने अपनी जानकारी जाहिर की .
 " ये तो बहुत खतरनाक बात है  . अगर कोई इन वोटिंग मशीनों के साथ छेड - छाड़  करता है तो वो तो मन चाहे ढंग से चुनावों का परिणाम प्राप्त कर सकता है ." प्रोफ़ेसर साहिबा ने अपनी चिंता व्यक्त की .
" इसीलिए डाक्टर स्वामी ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाया है ." मैंने उन्हें बताया .
  "पर ये सब हो कैसे रहा है , ये तो हमारे लोकतंत्र पर ही  सीधा-सीधा हमला है . हम वोट किसी को देंगे और मशीन हमारा वोट किसी दुसरे के खाते में डाल  देगी . " प्रोफ़ेसर जी उत्तेजित हो कर बोलीं .
 " हाँ यही ख़तरा नज़र आ रहा है ,मैंने f b पर एक क्लिप  पढ़ा था , जिसमें बताया था कि  अभी पिछले दिनों , डाक्टर स्वामी के जोर देने पर चुनाव  आयोग को एक परीक्षण करवाना पडा , 10 ए वी एम मशीने अलग - अलग जगहों से उठाई गयीं , और उन पर परीक्षण किये गए .  हर मशीन पर अलग-अलग पार्टियों को वोट डालने की प्रक्रिया दोहराई  गई , 10 - 10 वोट हर पार्टी के पक्ष में हर मशीन पर  डाले गए , लेकिन ये देख कर सब दंग  रह गए कि डाले गए वोटों के 60 % वोट किसी एक ही पार्टी के खाते में डाले नज़र आ रहे थे ." मैंने बताया .
 " पूरी बात खुल कर बताइये " उन्होंने जोर दे कर कहा . " खुली और साफ़ बात ये है कि  परीक्षण में ये पाया गया की आप वोट किसी भी पार्टी  को डालें , डाले गए  वोटों का 60 % वोट कांग्रेस पार्टी के खाते में दिखाया जा रहा था, उस पार्टी के खाते में नहीं जिसके पक्ष में वोट डाले गए थे  . मैंने अपनी बात का खुलासा किया .
 " ये तो सरासर जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है ,  लोकतंत्र की ह्त्या है . आज चारों ओर देश में  श्री नरेन्द्र मोदी के नाम की जो एक लहर दिखाई दे रही है , उसका क्या फायदा होगा , हम वोट श्री मोदी के उम्मीदवार के पक्ष में डालेंगे और वो पहुँच जाएगा कांग्रेसी उम्मीदवार के खाते में , इस खतरनाक धोखे से बचना बहुत ज़रूरी है , वरना सत्यानाश हो जाएगा ." उन्होंने अपनी बात कही .
 " अच्छा हुआ तुम आ गयीं और यह मामला उठा दिया , क्योंकि मैं भी सोच ही रहा था की इस सारी बात की पूरी सच्चाई जाननी चाहिए और फिर इस बात का व्यापक प्रचार जन-जन तक अवश्य करना चाहिए  .
" तो आपने इस बारे में क्या सोचा है , हमें इस बारे में बड़ी गंभीरता से कार्यवाही करनी चाहिए और जल्दी करनी चाहिए ." उनका कहना था .
 " मैं सोचता हूँ कि सबसे पहले हम लोगों को डाक्टर सुब्रमण्यम स्वामी से मिलना चाहिए , उनसे इस बारे में सारी  सच्चाई जाननी चाहिए और फिर उनके द्वारा बताये रास्ते पर चल कर इस समस्या के खिलाफ  लड़ना  चाहिए ." मैंने अपनी राय बताई .
 ये बात सब को पसंद आई  और तय ये हुआ कि प्रोफ़ेसर साहिबा  डाक्टर स्वामी से मिलने  का समय लेने का प्रयत्न करेंगी और फिर हम लोग उनसे मिलकर इस बारे में सारी असलियत जानने के बाद उनके निर्देश के अनुसार अगली कार्यवाही करेंगे . और फिर आज की सभा विसर्जित हो गई .
ये सारी  बात आप तक पहुंचाने का मकसद केवल कोई अफ्फाह फैलाना नहीं है बल्कि  आप सब से प्रार्थना करना है कि आप सब इस लिंक को पढने के बाद इस बारे में जो भी जानकारी रखते हों , मेहरबानी करके उस जानकारी को हम तक f b के ज़रिये अवश्य पहुंचायेन  . बड़ी मेहरबानी होगी . ये राष्ट्र हित का मामला है जिसे बहुत  गंभीरता से  लेना बहुत आवश्यक है . आशा करता हूँ की सभी पाठक इसे बहुत गंभीरता से लेंगे एवं अपना विचार भी अवश्य लिखेंगे . धन्यवाद 




   


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